शिक्षा और अंधविश्वास

शिक्षा और अंधविश्वास 

शाब्दिक अर्थ में देखा जाये तो अंधविश्वास का मतलब आँखे बन्द कर के विश्वास कर लेना या बिना कोई सोच विचार के विश्वास कर लेना... तात्पर्य निकाला जा सकता है कि किसी भी विषय को बिना सोचे समझे उस पर विश्वास कर लेना यही "अंधविश्वास" कहलाता है। अंग्रेजी में इसे ही ‘ब्लाइंड फैथ’ (Blind Faith) के नाम से जाना जाता है,  सामाजिक तौर पर पुरानी रूढिवादी विचारों से प्रभावित होकर किए जाने वाले कार्यों को जिसमें मुख्य कारण सम्बन्धित विषय में कारण अज्ञात होता है, हम अंधविश्वास कहते हैं। 
वर्तमान में पूरा समाज शिक्षित है लेकिन शिक्षा के साथ ही अंधविश्वास ने पूरी समाज को भी जकडा हुआ है जिस कारण ही समाज में भिन्न-भिन्न प्रकार की बुराइयाँ पनपने लगी हैं। समाज शिक्षित भलेही है लेकिन रूढ़िवादी परंपरा के कारण विकास से कोसो दूर है। 
ये सवाल सबसे बडा व विचारनीय है... क्योकि समाज शिक्षित तो है लेकिन अंधविश्वासी भी...
तो आइये जानते हैं
कब और कैसे मिटेगा अंधविश्वास का अंधेरा? 
ये मुद्दा थोडा धार्मिक भी है... तो आइये शुरूआत करते है... 
सबसे पहले ये बात सभी जानते हैं कि मानव जीवन का मिलना दुर्लभ है जिस विषय में कबीर साहेब जी ने कहा है कि 
मानुष जनम दुर्लभ है, ये मिले ना बारम्बार। 
जैसे तरूवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर ना लगता डार।। 
यहाँ पर मनुष्य जीवन की तुलना एक पेड के पत्ते से की गई है जो एक बार पेड से अलग हो जाये तो वो ही पत्ता पुनः पेड की शाखा पर नही लग सकता, मनुष्य जन्म भी इतना ही दुर्लभ है इसे व्यर्थ नहीं गवाना चाहिये। 
अब बात आती है आखिर मनुष्य जनम का मूल कर्तव्य क्या है?? 
लेकिन इसका जवाब सभी अपने अपने स्तर से देते है... कोई ये सोचता कि क्या हमारे शास्त्र भी ये कहते है जो हम कर रहे है...

अंधश्रद्धा का अर्थ है बिना विचार - विवेक के किसी भी प्रभु मे आस्था करके उसे प्राप्ति की तडफ मे पूजा मे लीन हो जाना। फिर अपनी साधना से हटकर शास्त्र प्रमाणित भक्ति को भी स्वीकार ना करना। दूसरे शब्दों मे कहे तो प्रभु भक्ति में अन्धविश्वास को ही आधार मानना। जो ज्ञान शास्त्रों के अनुसार नहीं होता उसको सुन सुना कर उसी के आधार से साधना करते रहना। वह साधना जो शास्त्रों के विपरित है, बहुत ही हनिकारक है। अनमोल मानव जीवन नष्ट हो जाता है। वह साधना जो शास्त्रों में प्रमाणित नही है, उसे करना तो ऐसा है जैसे आत्महत्या कर ली हो। आत्महत्या करना महापाप है। इसमें अनमोल मानव जीवन नष्ट हो जाता है। 
  कभी कभी तो ऐसा आभास होता है कि यह सब जनता को लूटने के लिए रचा गया स्वाँग है। हमारा सारा समाज जिसमें कई बुद्धिजीवी भी हो चुके हैं, कई सदियों से इनसे बँधा हुआ है तो कोई न कोई बात होगी। सोचा एक बार मनन कर ही लिया जाए। लेकिन विषय ही कुछ ऐसा है कि कोई विपक्ष में बैठने को तैयार ही नहीं होता। यदि कुछेक जवाब मिल भी जाते तो उनकी परख कि वह सही हैं या गलत, इसकी खबर कैसे लगती? किसकी मानें किसकी न मानें? फिर सोचा सही – गलत सोचने के लिए कॉफी समय बाकी है पहले कोई तर्क, वितर्क या कुतर्क ही – मिले तो सही।इसलिए सोचा चलो शुरु तो कर ही लेते हैं इसकी खोज और इसी खोज में मिले एक ऐसे शख्स जिन्होने सब कुछ प्रमाण सहित उजागर कर लिया... 




वो शख्स है संत रामपाल जी महाराज जी, जी हाँ संत रामपाल जी महाराज जी एकमात्र ऐसे संत है जिन्होने समाज में फैल रही रूढीवादी परम्पराओं के साथ साथ अंध श्रद्धाभक्ति को भी जड से खत्म करने की मुहिम छेड़ी हैं जिसे लाखों लोगों ने अपनाकर सभी बुराईयों को छोड़कर एक स्वच्छ समाज तैयार करने का संकल्प लिया है... संत रामपाल जी महाराज जी ने शास्त्र विरूद्ध साधना जो अब तक अंध श्रद्धाभक्ति के तहत चली आ रही हैं उस अंध श्रद्धाभक्ति को खतरा बताया है क्योकि एक दूसरे को देखकर की जा रही भक्ति यदि शास्त्रोक्त नही है तो वह अंधविश्वास यानि अंध श्रद्धाभक्ति मानी जाती है। 
आज मानव समाज शिक्षित है तो अपना फैसला स्वयं लेने मे सक्षम भी है, कि हमारी जो भी धार्मिक प्रक्रिया है वो शास्त्रो मे वर्णित है या नही... 
तो अब अपने शिक्षित होने का फायदा उठाये अपनी शिक्षा को व्यर्थ ना जाने दे और अपने शास्त्र पढकर देंखे कि हमारे शास्त्र बताते क्या है और आज पूरी समाज अन्धविश्वास के तहत कर क्या रहे है... 


शास्त्र अनुकूल भक्ति विधि प्रमाण सहित जानने के लिए अवश्य पढें अनमोल पुस्तक "अंधश्रद्धा भक्ति खतरा ए जान"  
इस अनमोल पुस्तक को घर बैठे बिल्कुल निशुल्क प्राप्त करने के लिए अपना नाम पूरा पता और मोबाइल नम्बर हमे  7496801885 पर Whatsapp या SMS कर देवे। 



अधिक जानकारी के  Visit करे हमारी Website 





Comments

  1. मानुष जनम दुर्लभ है, ये मिले ना बारम्बार।
    जैसे तरूवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर ना लगता डार

    ReplyDelete

Post a Comment

सामाजिक सुधार के लिए आपका क्या मत है कॉमेंट कर के जरूर बताये... और इसी तरह के मुद्दों पर विचार के लिए जुडे रहे...

Popular posts from this blog

समाज शास्त्र